Ayurvedic medicine for piles

पाइल्स और बवासीर के लिए सबसे बढ़िया आयुर्वेदिक दवा

परिचय (Introduction)

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में गलत खान-पान, तनाव, और बैठे-बैठे रहने की आदतों के कारण बहुत से लोग बवासीर (Piles) या अर्श (Hemorrhoids) जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। यह एक आम लेकिन बहुत ही परेशान करने वाली बीमारी है जिसमें गुदा (anus) के आसपास की नसें सूज जाती हैं और दर्द, जलन, या खून आने जैसी समस्या होती है।

आयुर्वेद में बवासीर को “अर्श” कहा गया है। यह तीन दोषों – वात, पित्त और कफ – के असंतुलन से उत्पन्न होती है। आधुनिक दवाइयों से अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखता है।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे —

  • बवासीर के मुख्य कारण

  • इसके लक्षण

  • आयुर्वेदिक दृष्टि से उपचार

बवासीर (Piles) क्या है?

बवासीर एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा मार्ग की नसें सूजकर गांठ का रूप ले लेती हैं। इसे दो प्रकारों में बांटा जाता है:

  1. आंतरिक बवासीर (Internal Piles):
    इसमें सूजन अंदर की तरफ होती है और आमतौर पर दर्द नहीं होता, लेकिन मल त्याग के समय खून आ सकता है।

  2. बाहरी बवासीर (External Piles):
    इसमें सूजन गुदा के बाहर होती है, जिससे दर्द, जलन और खुजली अधिक होती है।

बवासीर होने के मुख्य कारण (Causes of Piles)

आयुर्वेद के अनुसार, बवासीर शरीर में वात दोष के बढ़ने और पाचन तंत्र की कमजोरी से होती है। कुछ मुख्य कारण हैं:

  • कब्ज़ रहना (Chronic Constipation)

  • कम फाइबर वाला आहार

  • देर तक बैठे रहना या बैठकर काम करना

  • मसालेदार और तला-भुना भोजन

  • भारी वजन उठाना

  • अत्यधिक शराब या धूम्रपान

  • गर्भावस्था में बढ़ा हुआ दबाव

  • पाचन तंत्र की गड़बड़ी

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बवासीर के लक्षण (Symptoms of Piles)

अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण हैं, तो यह बवासीर के संकेत हो सकते हैं:

  • मल त्याग के समय दर्द या जलन

  • गुदा से खून आना

  • गुदा के आसपास सूजन या गांठ

  • बैठने में परेशानी

  • खुजली या चुभन

  • अधूरा मल त्याग महसूस होना

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बवासीर का उपचार

आयुर्वेद बवासीर को केवल लक्षणों से नहीं, बल्कि उसके मूल कारण — पाचन तंत्र की कमजोरी और दोष असंतुलन — से ठीक करता है।
इसका उद्देश्य है —

  1. दोषों का संतुलन (Vata, Pitta, Kapha)

  2. पाचन तंत्र को मजबूत बनाना

  3. सूजन, दर्द और रक्तस्राव को कम करना

  4. दोबारा बवासीर होने से बचाव

बवासीर के लिए घरेलू आयुर्वेदिक उपाय (Home Remedies for Piles)

अगर आप दवाओं के साथ घरेलू नुस्खे अपनाते हैं, तो उपचार और भी जल्दी असर दिखाता है:

  1. त्रिफला चूर्ण:
    रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच लें। यह कब्ज़ को दूर रखता है।

  2. एलोवेरा जूस:
    रोज़ सुबह खाली पेट 20-30ml एलोवेरा जूस पीने से पाचन सुधरता है और सूजन कम होती है।

  3. जीरा और अजवाइन:
    भोजन के बाद आधा चम्मच जीरा-अजवाइन पाउडर खाने से गैस और अपच से राहत मिलती है।

  4. छाछ (Buttermilk):
    छाछ में पिसा हुआ जीरा और काला नमक मिलाकर रोज़ पिएं। यह सबसे आसान और असरदार उपाय है।

  5. गर्म पानी से Sitz Bath:
    दिन में दो बार गुनगुने पानी में बैठने से दर्द और सूजन कम होती है।

आहार और जीवनशैली में बदलाव (Diet & Lifestyle Changes)

आयुर्वेद में कहा गया है — “अन्नम ही औषधम्” यानी भोजन ही दवा है।
अगर आप बवासीर से राहत पाना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें:

क्या खाएं:

  • फाइबर युक्त आहार जैसे फल, सब्जियां, दलिया, ओट्स

  • गुनगुना पानी अधिक मात्रा में पिएं

  • हरी पत्तेदार सब्जियां

  • छाछ, दही, नारियल पानी

क्या न खाएं:

  • मसालेदार और तला-भुना खाना

  • शराब और धूम्रपान

  • अधिक कॉफी या चाय

  • देर रात भोजन करना

🏃♂️ जीवनशैली सुझाव:

  • रोज़ाना हल्की वॉक या योग करें

  • मल त्याग को देर तक न रोकें

  • तनाव कम रखें

  • पर्याप्त नींद लें

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बवासीर के लिए उपयोगी योगासन (Yoga for Piles Relief)

योग से पाचन तंत्र मजबूत होता है और रक्त संचार बेहतर होता है। कुछ उपयोगी आसन हैं:

  • मलासन (Garland Pose)

  • पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose)

  • बालासन (Child Pose)

  • वज्रासन (Thunderbolt Pose)

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Half Spinal Twist)

निष्कर्ष (Conclusion)

बवासीर एक आम लेकिन गंभीर समस्या है जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। आधुनिक दवाइयों से अस्थायी राहत मिलती है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार शरीर के अंदर से संतुलन लाकर इस समस्या को स्थायी रूप से दूर करता है।

“आयुर्वेद अपनाएं, बवासीर से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं!”

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