परिचय: बवासीर और आहार का संबंध
बवासीर, जिसे पाइल्स या हैमोरॉयड्स भी कहा जाता है, आज के समय में एक आम लेकिन बेहद असहज करने वाली स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इसमें मलद्वार (गुदा) की नसें सूज जाती हैं, जिससे दर्द, सूजन, खुजली और कभी-कभी खून आना जैसी समस्याएँ होती हैं।
इस रोग के कई कारण हो सकते हैं — जैसे कब्ज़, लंबे समय तक बैठना, भारी वजन उठाना, या गर्भावस्था। लेकिन इन सबमें सबसे अहम भूमिका निभाता है आपका आहार (Diet)।
हम जो खाते हैं, वह सीधे हमारे पाचन तंत्र पर असर डालता है। एक ग़लत खानपान न सिर्फ कब्ज़ को बढ़ाता है, बल्कि बवासीर के लक्षणों को और भी ज्यादा तकलीफदेह बना सकता है। वहीं दूसरी ओर, एक संतुलित और फाइबर-युक्त आहार बवासीर से राहत दिलाने में मदद करता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि बवासीर में किन चीज़ों को खाने से परहेज़ करना चाहिए, और इनसे बचकर कैसे हम इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं।
बवासीर को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ
बवासीर की समस्या तब और बढ़ जाती है जब हमारा खानपान सही नहीं होता। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो पाचन को धीमा कर देते हैं, कब्ज़ को बढ़ाते हैं या आंतों में जलन पैदा करते हैं, जिससे बवासीर के लक्षण और भी ज़्यादा कष्टदायक हो सकते हैं। नीचे ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिनसे बवासीर में परहेज़ करना चाहिए:
1. मसालेदार और तीखा खाना
अत्यधिक मिर्च-मसालों से बना भोजन आंतों और गुदा मार्ग में जलन पैदा कर सकता है। इससे जलन, खुजली और दर्द की समस्या बढ़ सकती है, खासकर मल त्याग के समय।
परहेज़ करें: तीखी करी, चटनी, अचार, लाल मिर्च आदि।
2. तला-भुना और ऑयली फूड
तले हुए और अत्यधिक तेल वाले खाद्य पदार्थ पचने में भारी होते हैं और कब्ज़ की समस्या को बढ़ाते हैं। इनमें ट्रांस फैट और खराब कोलेस्ट्रॉल अधिक मात्रा में होता है, जो पाचन क्रिया को प्रभावित करता है।
परहेज़ करें: समोसे, पकौड़े, पूरी, चिप्स, नमकीन आदि।
3. मांसाहारी भोजन
मीट और अन्य मांसाहारी भोजन फाइबर में कम और फैट में अधिक होते हैं, जिससे पाचन तंत्र पर बोझ पड़ता है। इनका अत्यधिक सेवन मल को कठोर बना देता है और बवासीर की स्थिति को बिगाड़ सकता है।
परहेज़ करें: मटन, तला हुआ चिकन आदि।
4. फास्ट फूड और प्रोसेस्ड आइटम
फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में पोषण कम और वसा व नमक अधिक होता है। इनमें फाइबर की कमी के कारण ये कब्ज़ का कारण बनते हैं।
परहेज़ करें: बर्गर, पिज़्ज़ा, फ्राइज़, इंस्टेंट नूडल्स, पैकेट वाले स्नैक्स।
5. कैफीन (कॉफी, चाय) और शराब
कैफीन और शराब शरीर को डिहाइड्रेट करते हैं, जिससे मल सख्त हो जाता है और कब्ज़ बढ़ती है। इसके अलावा ये आंतों में जलन और सूजन का कारण बन सकते हैं।
परहेज़ करें: कॉफी, ब्लैक टी, शराब (बीयर, व्हिस्की, वाइन आदि)।
6. मैदा और कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ
मैदे से बने उत्पाद जैसे सफेद ब्रेड, पेस्ट्री, पिज़्ज़ा आदि में फाइबर की कमी होती है, जिससे मल त्याग कठिन हो जाता है और आंतों की गति धीमी पड़ जाती है।
परहेज़ करें: मैदे की ब्रेड, कुकीज़, पेस्ट्री, नान, भटूरे।
7. ज्यादा मीठा और मिठाइयाँ
अधिक मीठा और रिफाइंड शुगर से बनी चीज़ें शरीर में सूजन बढ़ाती हैं और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं। साथ ही ये अक्सर मैदे और घी से बनी होती हैं, जो बवासीर में नुकसानदायक हैं।
परहेज़ करें: रसगुल्ला, गुलाब जामुन, मिठाइयाँ, केक, चॉकलेट आदि।
इन चीज़ों से बचना क्यों ज़रूरी है?
1. कब्ज़ बढ़ाते हैं: तला-भुना, मैदा और कम फाइबर वाला खाना मल को सख्त बनाता है, जिससे बवासीर में दर्द बढ़ जाता है।
2. सूजन और जलन: मसालेदार खाना, कैफीन और शराब आंतों में जलन और सूजन बढ़ाते हैं।
3. डिहाइड्रेशन: कॉफी, चाय और शराब शरीर में पानी की कमी करते हैं, जिससे मल सूख जाता है।
4. मल त्याग में दबाव: भारी और ऑयली खाना पचने में समय लेता है, जिससे टॉयलेट के समय ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है।
5. इलाज में रुकावट: गलत आहार दवाओं और घरेलू उपायों के असर को कम कर देता है।
सही खानपान ही बवासीर से राहत की पहली सीढ़ी है।
बवासीर के लिए हेल्दी खाने के विकल्प
बवासीर में राहत पाने के लिए ऐसा आहार अपनाना ज़रूरी है जो पाचन में हल्का हो, कब्ज़ को रोके और आंतों को साफ़ रखने में मदद करे। नीचे कुछ असरदार और हेल्दी विकल्प दिए गए हैं:
1. फाइबर युक्त भोजन
फाइबर मल को नरम और नियमित बनाता है।
शामिल करें: दलिया, ओट्स, दालें, चने, सब्जियाँ (पालक, लौकी, तोरी), फल (सेब, पपीता, अमरूद, नाशपाती)।
2. पूरा अनाज (Whole Grains)
रिफाइंड मैदे की जगह साबुत अनाज चुनें।
शामिल करें: गेहूं की रोटी, ब्राउन राइस, जौ, बाजरा, दलिया।
3. तरल पदार्थ और पानी
दिन में कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएं।
शामिल करें: नारियल पानी, सूप, छाछ, नींबू पानी।
4. दही और प्रोबायोटिक फूड्स
दही पाचन सुधारता है और आंतों की सेहत को ठीक रखता है।
5. हल्का, उबला या भाप में बना खाना
तले हुए खाने की जगह उबला या स्टीम्ड फूड बेहतर होता है।
नोट: भोजन धीरे-धीरे खाएं, अच्छे से चबाएं, और एक नियमित दिनचर्या अपनाएं।
सही आहार न सिर्फ बवासीर को नियंत्रित करता है, बल्कि भविष्य में इसके दोबारा होने की संभावना भी कम कर देता है।
बवासीर से राहत पाने के घरेलू उपाय (खानपान से जुड़े)
1. गुनगुना पानी: सुबह खाली पेट पीने से कब्ज़ में राहत।
2. इसबगोल: रात को गर्म पानी या दूध के साथ सेवन करें।
3. घी + दूध: एक चम्मच देसी घी गुनगुने दूध में मिलाकर रात को पिएं।
4. पपीता और अनार: पाचन सुधारते हैं और सूजन कम करते हैं।
5. त्रिफला चूर्ण: रात को गुनगुने पानी के साथ लें – आंतें साफ़ होती हैं।
6. भीगे अंजीर/मुनक्का: सुबह खाली पेट लें – मल नरम रहता है।
7. छाछ + जीरा: भोजन के बाद लें – गैस और जलन से राहत।
नियमितता और संयम से ही इन उपायों का लाभ मिलता है।
श्री च्यवन की आयुर्वेदिक चिकित्सा:
श्री च्यवन आयुर्वेद ने बवासीर के लिए एक आयुर्वेदिक दवा - पाइल्स केयर किट तैयार की है। बवासीर के लिए हमारी आयुर्वेदिक दवा आपको बवासीर से पूरी तरह राहत दिलाने में मदद करती है।
पाइल्स केयर किट: पाइल्स का मुख्य कारण कब्ज है। चलने-फिरने में कठिनाई के कारण पाइल्स होता है। तो, पाइल्स से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए, घर लाएँ या श्री च्यवन आयुर्वेद की पाइल्स केयर किट ऑर्डर करें, इसमें शामिल हैं:
1. पाइल हरी वटी: यह सूजन को ठीक करने और दर्द और परेशानी को शांत करने में मदद करती है। इसमें रेचक गुण भी होते हैं जो पेरिस्टाल्टिक गतिविधियों को प्रेरित करते हैं, जिससे आंतों को खाली करने की प्रक्रिया दर्द रहित हो जाती है।
सामाग्री: इसमें शामिल हैं- अंबाहलादर, कालीजिरी, रसोत, काली मिर्च, हर, मेथातिस, कहरवापिस्ती, मोतीपिस्ती, आंवला, मेथी, वरियाली, बोलबद्रस, कहरवापिस्ती।
कैसे उपयोग करें: प्रतिदिन सुबह और शाम क्रमशः नाश्ते और नाश्ते के बाद एक गोली।
2. कब्ज हरी चूर्ण: यह गैस, कब्ज और पेट दर्द जैसी पेट संबंधी कई समस्याओं में मदद करता है।
सामाग्री: इसमें हरड़े, सोंठ, मुलेठी, बहेड़ा, हींग, वरियाली, अमलतास, काला नमक, ब्लैकपाइपर, आंवला शामिल हैं।
कैसे उपयोग करें: इस मथने की 1-2 ग्राम मात्रा को आधे कप पानी में मिलाएं, रोजाना सोने से पहले इसका सेवन करें।
3. निकुंज अमृत धार: यह गुदा या मलाशय क्षेत्र के पास जलन या खुजली को शांत करने में मदद करता है।
सामाग्री: इसमें सत अजवाइन, सत पुदीना, कपूर, आवश्यक तेल और लौंग का तेल शामिल है।
कैसे इस्तेमाल करें: कॉटन बॉल पर 4-5 बूंदें लें और प्रभावित जगह पर दिन में दो बार लगाएं।
4. लिवर केयर सिरप: श्री च्यवन आयुर्वेद का लिवर केयर सिरप आपके लिवर को साफ करने और पाचन प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए तैयार किया गया है। यह लीवर की समग्र कार्यप्रणाली को मजबूत करने में भी मदद करता है।
सामाग्री: इसमें चित्रकमूल, आंवला, हरड़े, बहेड़ा, बेल पत्र, धना, एलोवेरा, अजवाइन, पुनर्नवा, गिलोय सत्व, नीम चल, तुलसी शामिल हैं।
कैसे उपयोग करें: 1-2 चम्मच लिवर केयर प्लस सिरप का दिन में तीन बार या अपने चिकित्सक द्वारा बताए अनुसार सेवन करें।
उत्पाद लाभ:
पाचन में सुधार: श्री च्यवन आयुर्वेद की पाइल्स केयर किट प्रभावी रूप से पाचन तंत्र से संबंधित आपकी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है और पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाती है।
कब्ज से राहत: यह प्रभावी रूप से आपको पेट की समस्याओं और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
सूजन और गैसें: पाइल्स केयर किट पेट की सूजन, पाचन समस्याओं और गैसों को कम करती है और अपच को कम करती है।
शुद्ध और प्राकृतिक: पाइल्स केयर किट सभी प्राकृतिक और हर्बल सामग्रियों का उपयोग करके बनाई गई है और सुचारू पाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।
निष्कर्ष: सही आहार से कैसे मिलती है राहत?
बवासीर कोई एक दिन में होने वाली समस्या नहीं है, और इसका समाधान भी केवल दवाओं से नहीं होता। सही और संतुलित आहार बवासीर के इलाज में सबसे अहम भूमिका निभाता है। जब हम मसालेदार, तला-भुना, मांसाहारी और प्रोसेस्ड फूड से बचते हैं और उसकी जगह फाइबर युक्त, हल्का और पाचन-सहायक भोजन अपनाते हैं, तो:
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कब्ज़ की समस्या दूर होती है
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मल त्याग आसान और दर्द रहित होता है
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सूजन और जलन में राहत मिलती है
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बवासीर के लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं
इसलिए, यदि आप बवासीर से पीड़ित हैं या बार-बार यह समस्या होती है, तो खानपान को प्राथमिकता दें। भोजन ही सबसे प्रभावी और प्राकृतिक इलाज है।
अगर किसी भी प्रकार का कोई सवाल हो तो हमे कॉल करे - 📞📞 95162 64444