myth about diabetes

शुगर (Diabetes) के बारे में गलतफहमियां?

परिचय: शुगर यानी डायबिटीज क्या है?


आज के समय में "शुगर" या डायबिटीज एक आम शब्द बन चुका है, लेकिन इसके बारे में लोगों के मन में अब भी कई गलतफहमियां और भ्रम हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सिर्फ ज्यादा मीठा खाने से शुगर होती है, तो कुछ सोचते हैं कि यह सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी है।

डायबिटीज एक ऐसी मेटाबॉलिक स्थिति है जिसमें शरीर में ब्लड शुगर (ग्लूकोज) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है, या शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। यह एक गंभीर लेकिन मैनेजेबल बीमारी है, बशर्ते कि समय रहते सही जानकारी और जीवनशैली अपनाई जाए।

इस ब्लॉग में हम डायबिटीज से जुड़ी उन आम गलतफहमियों पर रोशनी डालेंगे जो समाज में बहुत प्रचलित हैं — ताकि आप भ्रम से नहीं, सही जानकारी से निर्णय लें और दूसरों को भी जागरूक करें।



गलतफहमी 1: मीठा खाना ही शुगर का कारण है


बहुत से लोग मानते हैं कि सिर्फ मीठा खाने से ही डायबिटीज होती है,

वास्तविकता:

लेकिन यह सच नहीं है। डायबिटीज तब होती है जब शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता या उसका उत्पादन कम हो जाता है।

मीठा खाना एक कारण हो सकता है, लेकिन प्रमुख कारणों में मोटापा, अनुवांशिकता, तनाव, और गलत जीवनशैली शामिल हैं।

सिर्फ मीठा खाना डायबिटीज का कारण नहीं है, बल्कि यह कई फैक्टर का परिणाम होता है।



गलतफहमी 2: शुगर एक बार हो जाए तो जीवनभर रहती है


अक्सर लोग मानते हैं कि डायबिटीज एक बार हो जाए तो पूरी ज़िंदगी दवा लेनी पड़ेगी और यह कभी ठीक नहीं हो सकती।

वास्तविकता:

टाइप 2 डायबिटीज को सही आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण और तनाव प्रबंधन के ज़रिए काफी हद तक नियंत्रित और कुछ मामलों में रिवर्स भी किया जा सकता है। टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन ज़रूरी होता है, लेकिन जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाई जा सकती है।


हर डायबिटीज मरीज को जीवनभर दवा लेनी पड़ेगी—यह जरूरी नहीं। जीवनशैली में बदलाव से बड़ा फर्क संभव है।



गलतफहमी 3: सिर्फ बुजुर्गों को होती है डायबिटीज


बहुत से लोग सोचते हैं कि डायबिटीज सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी है, लेकिन यह धारणा अब पुरानी हो चुकी है।

वास्तविकता:

आजकल युवाओं, किशोरों, और यहां तक कि बच्चों में भी टाइप 2 डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। इसका कारण है—गलत खानपान, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, तनाव, और बढ़ता मोटापा


डायबिटीज अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है, खासकर अगर जीवनशैली असंतुलित हो।



गलतफहमी 4: इंसुलिन का इस्तेमाल सिर्फ गंभीर मरीजों के लिए है


लोगों में यह धारणा आम है कि इंसुलिन केवल तब दिया जाता है जब मरीज की हालत बहुत खराब हो जाती है।

वास्तविकता:

इंसुलिन सिर्फ गंभीर स्थिति में ही नहीं, बल्कि टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को शुरुआत से ही ज़रूरी होता है। कुछ टाइप 2 डायबिटीज मरीजों को भी इंसुलिन दिया जा सकता है जब दवाएं और लाइफस्टाइल कंट्रोल पर्याप्त नहीं होते।


इंसुलिन इलाज का एक सामान्य और प्रभावी हिस्सा हो सकता है, न कि सिर्फ आखिरी उपाय।



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गलतफहमी 5: शुगर कंट्रोल करने के लिए सिर्फ दवा ही काफी है


अक्सर लोग मानते हैं कि शुगर को कंट्रोल करने के लिए केवल दवा लेना ही पर्याप्त है।

वास्तविकता:

दवा ज़रूरी हो सकती है, लेकिन सिर्फ दवा से डायबिटीज पूरी तरह कंट्रोल में नहीं आती। सही खानपान, व्यायाम, नींद, और तनाव नियंत्रण भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। जीवनशैली में बदलाव के बिना केवल दवा का असर सीमित रह सकता है।


डायबिटीज प्रबंधन में दवा अकेली नहीं, बल्कि समग्र जीवनशैली सुधार भी जरूरी है।



गलतफहमी 6: आयुर्वेद या घरेलू उपाय से शुगर पूरी तरह खत्म हो सकती है


कई लोग मानते हैं कि कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों या घरेलू नुस्खों से डायबिटीज पूरी तरह ठीक की जा सकती है।

वास्तविकता:

आयुर्वेद, योग, और घरेलू उपाय ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन इनका प्रयोग चिकित्सकीय निगरानी में और संतुलित आहार व दिनचर्या के साथ होना चाहिए। डायबिटीज एक लाइफस्टाइल से जुड़ा क्रॉनिक विकार है जिसे नियंत्रण में रखा जा सकता है, पर "पूरी तरह खत्म" कहना अक्सर भ्रमित करता है।


आयुर्वेद सहायक हो सकता है, लेकिन केवल घरेलू उपायों पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। सही मार्गदर्शन व संतुलित दृष्टिकोण ज़रूरी है।



गलतफहमी 7: डायबिटिक लोग फल नहीं खा सकते


यह आम धारणा है कि डायबिटीज के मरीजों को फल बिल्कुल नहीं खाने चाहिए, खासकर मीठे फल।

वास्तविकता:

डायबिटिक लोग फल खा सकते हैं, लेकिन सावधानी सेफलों में प्राकृतिक शर्करा (फ्रुक्टोज) होती है, जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है। हालांकि, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल जैसे सेब, नाशपाती, और जामुन सुरक्षित होते हैं, जब इन्हें मापदंड अनुसार खाया जाए।


डायबिटिक लोग फल खा सकते हैं, लेकिन संयम और सही चयन जरूरी है।



गलतफहमी 8: अगर लक्षण नहीं हैं, तो शुगर नहीं है


बहुत से लोग मानते हैं कि अगर डायबिटीज के स्पष्ट लक्षण नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि शुगर नहीं है।

वास्तविकता:

डायबिटीज के प्रारंभिक चरणों में लक्षण बिल्कुल नज़र नहीं आते, लेकिन फिर भी ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। इसे "प्रेडायबिटीज" कहा जाता है, जिसमें शुगर का स्तर सामान्य से ऊपर होता है, लेकिन डायबिटीज के लक्षण पूरी तरह से दिखाई नहीं देते। नियमित जांच से यह स्थिति पहचानी जा सकती है।


लक्षणों का अभाव होने पर भी ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए, क्योंकि डायबिटीज बिना लक्षणों के भी हो सकता है।



डायबिटीज से जुड़ी सही जानकारी क्यों ज़रूरी है?


1. सही प्रबंधन: सही जानकारी से डायबिटीज को आहार, व्यायाम और दवाओं से बेहतर नियंत्रित किया जा सकता है।

2. जटिलताओं से बचाव: सही समय पर इलाज से हृदय रोग, गुर्दे की समस्या और अन्य गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।

3. बेहतर जीवनशैली: सही जानकारी से जीवनशैली में बदलाव लाकर शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है।

4. मानसिक शांति: सही जानकारी से आत्मविश्वास बढ़ता है और आप अपनी सेहत के प्रति अधिक सजग रहते हैं।

5. सामाजिक जागरूकता: दूसरों को भी सही जानकारी देकर आप उन्हें भी इस बीमारी से बचाव में मदद कर सकते हैं।



श्री च्यवन का आयुर्वेदिक समाधान

 

डायबिटीज केयर किट - हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञों ने मधुमेह रोगियों के लिए एक आयुर्वेदिक दवा तैयार की है - डायबिटीज केयर किट। यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह आयुर्वेदिक दवा प्राकृतिक अवयवों के माध्यम से समग्र कल्याण को बढ़ावा देने, संतुलित रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में सहायता के लिए सावधानीपूर्वक तैयार की गई है।

 

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श्री च्यवन डायबिटीज केयर किट


किट में चार प्रकार की आयुर्वेदिक दवाएं शामिल हैं जो रक्त शर्करा के स्तर के प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं:


  • मधुमोक्ष वटी
  • चंद्रप्रभा वटी  
  • करेला और जामुन रस
  • गिलोय का रस

 


1. मधुमोक्ष वटी - श्री च्यवन आयुर्वेद की मधुमोक्ष वटी शरीर में स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करती है और इसके कारण होने वाली समस्याओं को दूर करती है।


    सामाग्री: मधुमोक्ष वटी में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्रियां वसंत कुसुमाकर, मधुमेह हरिरासा, नीम पंचांग, जामुन बीज, गुड़मार, करेला बीज, तालमखना, जलनीम, आंवला और बहेड़ा हैं। 


    कैसे उपयोग करें: यदि रोगी का रक्त शर्करा स्तर 200mg/dl है, तो उसे भोजन से पहले या चिकित्सक के निर्देशानुसार दिन में दो बार 2 गोली लेनी होगी।

     


    2. चंद्रभा वटी - श्री च्यवन आयुर्वेद की चंद्रप्रभा वटी स्वस्थ यूरिक एसिड स्तर का समर्थन करती है और समग्र कल्याण में योगदान दे सकती है।


      सामाग्री: इसमें आंवला, चंदन, दारुहरिद्रा, देवदारू, कपूर, दालचीनी और पीपल शामिल हैं।


      कैसे इस्तेमाल करें: रात को सोने से पहले 1 गोली का सेवन करें। या चिकित्सक के निर्देशानुसार।

       


      3. करेला जामुन रस - श्री च्यवन करेला जामुन रस चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करता है और शरीर में संतुलित रक्त शर्करा के स्तर में योगदान दे सकता है और जामुन में जंबोलिन और जंबोसिन होता है, जो चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए माना जाता है।


        सामाग्री: इस जूस/रस की मुख्य सामग्री करेला और जामुन का रस है।


        कैसे उपयोग करें: दोपहर के भोजन और रात के खाने के 1 घंटे बाद या चिकित्सक के निर्देशानुसार, दिन में दो बार 10 मिलीलीटर का सेवन करें।

         


        4. गिलोय रस: गिलोय रस एक हर्बल और आयुर्वेदिक पूरक है जो अपने संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है, जिसमें समग्र कल्याण और शरीर में स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करना शामिल है।


          सामाग्री: इसमें गिलोय से निकाला गया रस होता है।


          कैसे उपयोग करें: बच्चों के लिए 5ml-10ml,


          वयस्कों के लिए 10ml-20ml, दिन में तीन बार। या चिकित्सक के निर्देशानुसार। 

           

           

          निष्कर्ष: गलतफहमियों से बाहर निकलकर जागरूक बनें


          डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जानकारी और जागरूकता से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अक्सर समाज में फैली गलतफहमियों के कारण लोग सही उपचार और जीवनशैली अपनाने में पीछे रह जाते हैं।

          गलतफहमियों से बाहर निकलकर, यदि हम सही आहार, व्यायाम, और चिकित्सकीय मार्गदर्शन अपनाएं, तो डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है और इसकी जटिलताओं से बचा जा सकता है। इसलिए, सही जानकारी और जागरूकता हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

           

           

           

           

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          Disclaimer- इस ब्लॉग में प्रस्तुत जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और यह चिकित्सा, स्वास्थ्य, या चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इस ब्लॉग में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल शिक्षात्मक और सूचना प्रदान करने का है और यह किसी भी विशिष्ट चिकित्सा स्थिति, निदान, या उपचार के लिए सलाह नहीं प्रदान करती है।
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