गिलोय क्या है? – एक आयुर्वेदिक औषधि
गिलोय (Tinospora cordifolia) एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे संस्कृत में "अमृता" कहा जाता है, जिसका अर्थ है – अमृत समान औषधि। यह बेलनुमा पौधा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, बुखार कम करने और शुगर जैसी समस्याओं में लाभकारी माना जाता है।
गिलोय के तने से निकाला गया रस विशेष रूप से उपयोगी होता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-डायबिटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। यह शरीर को प्राकृतिक रूप से संतुलित और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
शुगर में गिलोय कैसे मदद करता है?
गिलोय डायबिटीज़ (शुगर) के नियंत्रण में एक प्राकृतिक सहायक मानी जाती है। इसमें मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक (Hypoglycemic) गुण ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करते हैं। गिलोय शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को बेहतर बनाती है और शुगर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है।
इसके अतिरिक्त, गिलोय इंफ्लेमेशन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम कर सकती है, जो टाइप-2 डायबिटीज़ के मुख्य कारणों में से हैं। इसके नियमित सेवन से न केवल ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है, बल्कि थकान, जलन और बार-बार पेशाब जैसी समस्याओं में भी राहत मिल सकती है।
हालांकि, गिलोय केवल सपोर्टिव उपचार है — इसे डॉक्टर की सलाह के साथ और नियमित दवाओं के साथ ही लेना चाहिए।
गिलोय का सेवन शुगर के रोगियों के लिए कैसे करें?
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गिलोय रस: सुबह खाली पेट 10–15 ml गुनगुने पानी के साथ लें
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गिलोय टैबलेट: दिन में 1–2 बार, डॉक्टर की सलाह अनुसार
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गिलोय काढ़ा: गिलोय की डंडी उबालकर बना काढ़ा दिन में एक बार पिएं
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गिलोय चूर्ण: आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें
ध्यान दें:
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सेवन से पहले डॉक्टर या वैद्य की सलाह लें
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यदि आप पहले से डायबिटीज की दवा ले रहे हैं, तो ब्लड शुगर की निगरानी करें
गिलोय की मात्रा और सही समय
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गिलोय रस: 10–15 ml, सुबह खाली पेट
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गिलोय टैबलेट: 1 टैबलेट, दिन में 1–2 बार भोजन के बाद
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गिलोय काढ़ा: 1 कप (100–120 ml), सुबह या शाम
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गिलोय चूर्ण: आधा चम्मच (2–3 ग्राम), गुनगुने पानी के साथ, सुबह या रात
सही समय:
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अधिकतर रूपों में सुबह खाली पेट लेना लाभकारी माना जाता है
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चिकित्सकीय सलाह के अनुसार दिन में एक या दो बार सेवन करें
सावधानी:
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अधिक मात्रा में सेवन से शरीर में सूखापन या ब्लड शुगर अत्यधिक कम हो सकता है
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बच्चों, गर्भवती महिलाएं और पुराने रोगियों को सेवन से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए
गिलोय लेने के प्रमुख तरीके – काढ़ा, टैबलेट, रस आदि
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गिलोय का काढ़ा:
गिलोय की ताजी डंडी या सूखी बेल को पानी में उबालकर तैयार करें। सुबह या शाम 1 कप सेवन करें। -
गिलोय टैबलेट:
बाजार में आयुर्वेदिक कंपनियों की बनी टैबलेट उपलब्ध होती हैं। डॉक्टर की सलाह से दिन में 1–2 बार लें। -
गिलोय रस (जूस):
ताजी गिलोय से निकाला गया रस 10–15 ml सुबह खाली पेट पानी के साथ लें। -
गिलोय चूर्ण (पाउडर):
आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सुबह या रात को सेवन करें। -
गिलोय सत्व (एक्सट्रैक्ट):
यह गाढ़े रूप में मिलता है और विशेष रूप से आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग होता है। सीमित मात्रा में चिकित्सकीय निर्देशानुसार लें।
शुगर कंट्रोल में गिलोय के अन्य फायदे
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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
डायबिटीज़ में इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है; गिलोय उसे प्राकृतिक रूप से मजबूत करता है। -
पाचन सुधारता है
शुगर मरीजों में पाचन समस्याएं आम होती हैं; गिलोय अपच, गैस और एसिडिटी को कम करता है। -
थकान और कमजोरी में राहत
गिलोय शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है, जिससे डायबिटिक थकान कम होती है। -
सूजन और इंफेक्शन से बचाव
गिलोय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन और संक्रमण को कम करते हैं। -
डायबिटिक घाव भरने में सहायक
गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स त्वचा की मरम्मत में मदद करते हैं, जो डायबिटीज़ में धीमी हो जाती है।
गिलोय के प्रयोग में सावधानियां
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गिलोय का सेवन हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह से करें।
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यदि आप शुगर या अन्य किसी बीमारी की दवा ले रहे हैं, तो गिलोय के सेवन से ब्लड शुगर स्तर बहुत नीचे जा सकता है।
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गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं बिना सलाह के गिलोय न लें।
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अत्यधिक मात्रा में गिलोय लेने से सूखा मुंह, दस्त या पेट दर्द हो सकता है।
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एलर्जी या किसी भी असामान्य प्रतिक्रिया पर तुरंत सेवन बंद कर डॉक्टर से संपर्क करें।
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बच्चों को गिलोय देने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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यदि शरीर में अत्यधिक ठंडक या कमजोरी हो, तो गिलोय से बचें।
किन रोगियों को गिलोय से बचना चाहिए?
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गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के गिलोय का सेवन न करें।
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बहुत कम ब्लड प्रेशर वाले लोग, क्योंकि गिलोय ब्लड प्रेशर को और कम कर सकता है।
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ऑटोइम्यून रोग वाले मरीज, जैसे रूमेटॉयड अर्थराइटिस या ल्यूपस, जिन्हें इम्यून सिस्टम को दबाना होता है।
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अत्यधिक ठंडक या कमजोरी वाले लोग, क्योंकि गिलोय शरीर में ठंडक बढ़ा सकता है।
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दवाइयों के साथ संभावित इंटरैक्शन वाले मरीज, जो शुगर, ब्लड प्रेशर या अन्य गंभीर दवाएं ले रहे हों।
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एलर्जी या किसी भी प्रकार की गिलोय से प्रतिक्रिया अनुभव करने वाले व्यक्ति।
डॉक्टर की सलाह कब लें?
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गिलोय का सेवन शुरू करने से पहले, खासकर यदि आप शुगर या अन्य गंभीर बीमारी के मरीज हैं।
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यदि आप पहले से शुगर, ब्लड प्रेशर या कोई अन्य दवा ले रहे हैं।
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गिलोय के सेवन से ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर में असामान्य बदलाव हो।
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किसी प्रकार की एलर्जी, चक्कर, पेट दर्द या अन्य असामान्य लक्षण दिखें।
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गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं गिलोय लेने से पहले।
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बच्चों को गिलोय देने से पहले।
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यदि आप ऑटोइम्यून या क्रॉनिक बीमारी से पीड़ित हैं।
श्री च्यवन का आयुर्वेदिक समाधान
डायबिटीज केयर किट - हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञों ने मधुमेह रोगियों के लिए एक आयुर्वेदिक दवा तैयार की है - डायबिटीज केयर किट। यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह आयुर्वेदिक दवा प्राकृतिक अवयवों के माध्यम से समग्र कल्याण को बढ़ावा देने, संतुलित रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में सहायता के लिए सावधानीपूर्वक तैयार की गई है।
श्री च्यवन डायबिटीज केयर किट
किट में चार प्रकार की आयुर्वेदिक दवाएं शामिल हैं जो रक्त शर्करा के स्तर के प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं:
- मधुमोक्ष वटी
- चंद्रप्रभा वटी
- करेला और जामुन रस
- गिलोय का रस
1. मधुमोक्ष वटी - श्री च्यवन आयुर्वेद की मधुमोक्ष वटी शरीर में स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करती है और इसके कारण होने वाली समस्याओं को दूर करती है।
सामाग्री: मधुमोक्ष वटी में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्रियां वसंत कुसुमाकर, मधुमेह हरिरासा, नीम पंचांग, जामुन बीज, गुड़मार, करेला बीज, तालमखना, जलनीम, आंवला और बहेड़ा हैं।
कैसे उपयोग करें: यदि रोगी का रक्त शर्करा स्तर 200mg/dl है, तो उसे भोजन से पहले या चिकित्सक के निर्देशानुसार दिन में दो बार 2 गोली लेनी होगी।
2. चंद्रभा वटी - श्री च्यवन आयुर्वेद की चंद्रप्रभा वटी स्वस्थ यूरिक एसिड स्तर का समर्थन करती है और समग्र कल्याण में योगदान दे सकती है।
सामाग्री: इसमें आंवला, चंदन, दारुहरिद्रा, देवदारू, कपूर, दालचीनी और पीपल शामिल हैं।
कैसे इस्तेमाल करें: रात को सोने से पहले 1 गोली का सेवन करें। या चिकित्सक के निर्देशानुसार।
3. करेला जामुन रस - श्री च्यवन करेला जामुन रस चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करता है और शरीर में संतुलित रक्त शर्करा के स्तर में योगदान दे सकता है और जामुन में जंबोलिन और जंबोसिन होता है, जो चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए माना जाता है।
सामाग्री: इस जूस/रस की मुख्य सामग्री करेला और जामुन का रस है।
कैसे उपयोग करें: दोपहर के भोजन और रात के खाने के 1 घंटे बाद या चिकित्सक के निर्देशानुसार, दिन में दो बार 10 मिलीलीटर का सेवन करें।
4. गिलोय रस: गिलोय रस एक हर्बल और आयुर्वेदिक पूरक है जो अपने संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है, जिसमें समग्र कल्याण और शरीर में स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करना शामिल है।
सामाग्री: इसमें गिलोय से निकाला गया रस होता है।
कैसे उपयोग करें: बच्चों के लिए 5ml-10ml,
वयस्कों के लिए 10ml-20ml, दिन में तीन बार। या चिकित्सक के निर्देशानुसार।
निष्कर्ष – क्या गिलोय शुगर के लिए सुरक्षित और लाभकारी है?
गिलोय शुगर कंट्रोल में सहायक एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसके सेवन से ब्लड शुगर स्तर संतुलित रहता है, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। गिलोय के एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण डायबिटीज़ से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में मदद करते हैं।
हालांकि, गिलोय को दवाइयों का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। शुगर के मरीजों को इसका सेवन डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह से और नियमित दवाइयों के साथ ही करना चाहिए। सही मात्रा और समय पर सेवन से गिलोय शुगर प्रबंधन में एक प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प बन सकता है।
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