डायबिटीज किस उम्र में होता है

डायबिटीज किस उम्र में होता है?

परिचय


डायबिटीज (मधुमेह) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर ब्लड शुगर को नियंत्रित नहीं कर पाता। पहले इसे उम्रदराज़ लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह बच्चों और युवाओं में भी आम हो गई है। बदलती जीवनशैली, खराब खानपान और तनाव इसके मुख्य कारण हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि डायबिटीज किस उम्र में होता है और किन उम्र के लोगों को इसका अधिक खतरा रहता है।



डायबिटीज के प्रकार और उनका उम्र से संबंध


डायबिटीज मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है, और इनका सीधा संबंध अलग-अलग उम्र की अवस्थाओं से होता है।

1. टाइप 1 डायबिटीज

यह प्रकार अधिकतर बचपन या किशोरावस्था में होता है। इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। यह एक ऑटोइम्यून स्थिति होती है और आमतौर पर आनुवंशिक कारणों से होती है।

 

2. टाइप 2 डायबिटीज

यह सबसे आम प्रकार है और अक्सर 40 वर्ष के बाद देखा जाता है, लेकिन अब यह 20-30 की उम्र के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण है मोटापा, गलत खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली।

 

3. जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावधि मधुमेह)

यह डायबिटीज केवल गर्भवती महिलाओं में पाई जाती है, खासकर जब गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव शरीर की शुगर को नियंत्रित करने में बाधा डालते हैं। यह अक्सर गर्भावस्था के बाद ठीक हो जाती है, लेकिन भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा देती है।



डायबिटीज किस उम्र में होता है?


बच्चों और किशोरों में:

  • अधिकतर टाइप 1 डायबिटीज होती है

  • कारण: ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया

  • लक्षण: बार-बार पेशाब, थकान, वजन घटना

20 से 40 वर्ष की आयु में:

  • तेजी से बढ़ता टाइप 2 डायबिटीज का खतरा

  • कारण: मोटापा, तनाव, खराब जीवनशैली

  • कई बार लक्षण धीमे-धीमे प्रकट होते हैं

40 वर्ष के बाद:

  • सबसे ज्यादा जोखिम इसी उम्र में

  • कारण: उम्र बढ़ने से इंसुलिन रेसिस्टेंस

  • नियमित जांच और कंट्रोल ज़रूरी



किन कारणों से कम उम्र में डायबिटीज हो सकता है?


1. अनुवांशिक कारण (Genetics)

    • परिवार में डायबिटीज का इतिहास होने पर जोखिम अधिक होता है।

2. अस्वस्थ जीवनशैली

    • जंक फूड, शारीरिक गतिविधि की कमी और अनियमित दिनचर्या।

3. मोटापा (Obesity)

    • विशेषकर पेट के आसपास की चर्बी, टाइप 2 डायबिटीज का बड़ा कारण।

4. तनाव और नींद की कमी

    • मानसिक तनाव और खराब नींद मेटाबोलिज्म को बिगाड़ सकते हैं।

5. इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी

    • टाइप 1 डायबिटीज में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही इंसुलिन कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।

6. हार्मोनल असंतुलन

    • किशोरावस्था और युवावस्था में हार्मोनल बदलाव डायबिटीज को ट्रिगर कर सकते हैं।

7. कम उम्र में वजन बढ़ना

    • बचपन में अधिक वजन होने से बाद में डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है।



 

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बढ़ती उम्र और डायबिटीज का खतरा


1. मेटाबोलिज्म धीमा होना

    • उम्र बढ़ने पर शरीर की शुगर प्रोसेस करने की क्षमता घट जाती है।

2. इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ना

    • कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है।

3. शारीरिक सक्रियता में कमी

    • ज्यादातर लोग 40-50 की उम्र के बाद कम एक्टिव हो जाते हैं, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

4. वजन बढ़ना

    • मिडल एज के बाद वजन नियंत्रण कठिन हो जाता है, जो डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाता है।

5. अन्य बीमारियाँ

    • ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों के साथ डायबिटीज की संभावना भी अधिक हो जाती है।

6. दवाओं का असर

    • बढ़ती उम्र में ली जाने वाली कुछ दवाइयाँ भी ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती हैं।



उम्र के अनुसार डायबिटीज के लक्षणों में अंतर


बच्चों और किशोरों में:

  • अत्यधिक प्यास लगना

  • बार-बार पेशाब आना

  • अचानक वजन घटना

  • थकावट और चिड़चिड़ापन

  • कभी-कभी पेट दर्द या उल्टी

युवा (20-40 वर्ष):

  • थकान और ऊर्जा की कमी

  • धुंधला दिखना

  • देर से घाव भरना

  • त्वचा में संक्रमण या खुजली

  • भूख और प्यास में बदलाव

वृद्ध (40 वर्ष से अधिक):

  • लक्षण धीमे और अस्पष्ट हो सकते हैं

  • पैरों में झनझनाहट या सुन्नता

  • बार-बार संक्रमण होना (मसूड़ों, मूत्र मार्ग आदि)

  • नजर कमजोर होना

  • स्मृति में कमी या भ्रम



किस उम्र में डायबिटीज की जांच शुरू करनी चाहिए?


1. सामान्यतः 30 वर्ष की उम्र के बाद

    • हर व्यक्ति को 3 साल में एक बार ब्लड शुगर की जांच करवानी चाहिए, भले ही कोई लक्षण न हो।

2. यदि परिवार में डायबिटीज का इतिहास हो

    • जांच की शुरुआत 25 वर्ष से ही कर देनी चाहिए।

3. मोटापा या हाई बीपी होने पर

    • किसी भी उम्र में यदि व्यक्ति का BMI अधिक हो या ब्लड प्रेशर हाई हो, तो जल्द जांच जरूरी है।

4. गर्भवती महिलाएँ

    • गर्भावस्था के 24 से 28 सप्ताह के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच करानी चाहिए।

5. कम उम्र में लक्षण दिखें तो

    • बार-बार प्यास लगना, थकान, या बार-बार पेशाब जैसे लक्षण हों तो उम्र की परवाह किए बिना तुरंत जांच कराएं।



उम्र और जीवनशैली: कैसे रखें डायबिटीज को नियंत्रित


1. संतुलित आहार लें

    • फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन शामिल करें।

    • जंक फूड, मीठा और तला-भुना कम खाएं।

2. नियमित व्यायाम करें

    • रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तक तेज चलना, योग या कोई हल्की एक्सरसाइज करें।

3. वजन नियंत्रण में रखें

    • स्वस्थ वजन बनाए रखना डायबिटीज नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है।

4. तनाव कम करें

    • ध्यान, मेडिटेशन या पसंदीदा हॉबी में व्यस्त रहें।

5. नींद पूरी लें

    • रोज़ाना 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद आवश्यक है।

6. नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं

    • ब्लड शुगर और अन्य संबंधित पैरामीटर समय-समय पर जांचें।

7. धूम्रपान और शराब से बचें

    • ये दोनों डायबिटीज को खराब कर सकते हैं।

8. दवाइयों का सही सेवन करें

    • डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयाँ लें और खुद से दवा न बदलें।



श्री च्यवन का आयुर्वेदिक समाधान

 

डायबिटीज केयर किट - हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञों ने मधुमेह रोगियों के लिए एक आयुर्वेदिक दवा तैयार की है - डायबिटीज केयर किट। यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह आयुर्वेदिक दवा प्राकृतिक अवयवों के माध्यम से समग्र कल्याण को बढ़ावा देने, संतुलित रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में सहायता के लिए सावधानीपूर्वक तैयार की गई है।

 

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श्री च्यवन डायबिटीज केयर किट


किट में चार प्रकार की आयुर्वेदिक दवाएं शामिल हैं जो रक्त शर्करा के स्तर के प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं:


  • मधुमोक्ष वटी
  • चंद्रप्रभा वटी  
  • करेला और जामुन रस
  • गिलोय का रस

 


1. मधुमोक्ष वटी - श्री च्यवन आयुर्वेद की मधुमोक्ष वटी शरीर में स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करती है और इसके कारण होने वाली समस्याओं को दूर करती है।


    सामाग्री: मधुमोक्ष वटी में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्रियां वसंत कुसुमाकर, मधुमेह हरिरासा, नीम पंचांग, जामुन बीज, गुड़मार, करेला बीज, तालमखना, जलनीम, आंवला और बहेड़ा हैं। 


    कैसे उपयोग करें: यदि रोगी का रक्त शर्करा स्तर 200mg/dl है, तो उसे भोजन से पहले या चिकित्सक के निर्देशानुसार दिन में दो बार 2 गोली लेनी होगी।

     


    2. चंद्रभा वटी - श्री च्यवन आयुर्वेद की चंद्रप्रभा वटी स्वस्थ यूरिक एसिड स्तर का समर्थन करती है और समग्र कल्याण में योगदान दे सकती है।


      सामाग्री: इसमें आंवला, चंदन, दारुहरिद्रा, देवदारू, कपूर, दालचीनी और पीपल शामिल हैं।


      कैसे इस्तेमाल करें: रात को सोने से पहले 1 गोली का सेवन करें। या चिकित्सक के निर्देशानुसार।

       


      3. करेला जामुन रस - श्री च्यवन करेला जामुन रस चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करता है और शरीर में संतुलित रक्त शर्करा के स्तर में योगदान दे सकता है और जामुन में जंबोलिन और जंबोसिन होता है, जो चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए माना जाता है।


        सामाग्री: इस जूस/रस की मुख्य सामग्री करेला और जामुन का रस है।


        कैसे उपयोग करें: दोपहर के भोजन और रात के खाने के 1 घंटे बाद या चिकित्सक के निर्देशानुसार, दिन में दो बार 10 मिलीलीटर का सेवन करें।

         


        4. गिलोय रस: गिलोय रस एक हर्बल और आयुर्वेदिक पूरक है जो अपने संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है, जिसमें समग्र कल्याण और शरीर में स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करना शामिल है।


          सामाग्री: इसमें गिलोय से निकाला गया रस होता है।


          कैसे उपयोग करें: बच्चों के लिए 5ml-10ml,


          वयस्कों के लिए 10ml-20ml, दिन में तीन बार। या चिकित्सक के निर्देशानुसार। 

           

           

          निष्कर्ष: सावधानी और सही समय पर जांच जरूरी


          डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकती है, इसलिए सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है। सही समय पर नियमित जांच और अपनी जीवनशैली में सुधार करके हम इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं और गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

          याद रखें, समय पर पहचान और सही इलाज ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

           

           

           

           

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          Disclaimer- इस ब्लॉग में प्रस्तुत जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और यह चिकित्सा, स्वास्थ्य, या चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इस ब्लॉग में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल शिक्षात्मक और सूचना प्रदान करने का है और यह किसी भी विशिष्ट चिकित्सा स्थिति, निदान, या उपचार के लिए सलाह नहीं प्रदान करती है।
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